चार्ल्स डार्विन (1809-1882) एक प्रसिद्ध ब्रिटिश वैज्ञानिक थे, जिन्हें उनकी प्राकृतिक चयन द्वारा विकास के सिद्धांत (Theory of Evolution by Natural Selection) के लिए जाना जाता है। यह सिद्धांत जीवों के विकास और उनके अनुकूलन (adaptation) को समझने के लिए आधारशिला है। यहां उनके जीवन, कार्य और योगदान का विस्तृत वर्णन दिया गया है:
1. प्रारंभिक जीवन
- जन्म: 12 फरवरी 1809, श्रूसबरी, इंग्लैंड में एक समृद्ध और शिक्षित परिवार में।
- परिवार: उनके पिता डॉ. रॉबर्ट डार्विन एक चिकित्सक थे, और उनकी माँ, सुज़ाना वेजवुड, एक संपन्न परिवार से थीं।
- शिक्षा:
- डार्विन ने प्रारंभिक शिक्षा अपने घर और बोर्डिंग स्कूल में प्राप्त की।
- 1825 में, उन्होंने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में चिकित्सा की पढ़ाई शुरू की, लेकिन इसमें उनकी रुचि नहीं थी।
- कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान उनकी रुचि प्राकृतिक इतिहास (natural history) और भूविज्ञान (geology) में विकसित हुई।
2. HMS बीगल की यात्रा (1831-1836)
- 1831 में, डार्विन को HMS बीगल जहाज पर प्राकृतिक वैज्ञानिक (naturalist) के रूप में यात्रा करने का अवसर मिला।
- महत्वपूर्ण यात्रा:
- उन्होंने दक्षिण अमेरिका, गैलापागोस द्वीप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के तटीय क्षेत्रों का अध्ययन किया।
- उन्होंने विभिन्न प्रजातियों के रंग, आकार और व्यवहार में अंतर देखा।
- गैलापागोस द्वीप के पक्षियों (फिंचेस) और कछुओं का अध्ययन उनके विकास के सिद्धांत के लिए महत्वपूर्ण आधार बना।
3. ऑरिजिन ऑफ स्पीशीज और प्राकृतिक चयन
- 1859 में, डार्विन ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ऑन द ऑरिजिन ऑफ स्पीशीज प्रकाशित की।
- प्राकृतिक चयन के मुख्य सिद्धांत:
- सभी प्रजातियाँ समय के साथ विकसित होती हैं।
- जो लक्षण जीवों के जीवित रहने और प्रजनन में मदद करते हैं, वे चयनित होते हैं।
- जो जीव अनुकूल नहीं हो पाते, वे नष्ट हो जाते हैं (सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट)।
4. प्रमुख योगदान
- विकासवादी जीवविज्ञान के जनक: डार्विन का कार्य प्रजातियों के विकास को समझने के लिए आधारभूत है।
- प्रकृति और विविधता का अध्ययन:
- गैलापागोस के पक्षियों का विस्तृत अध्ययन।
- जीवाश्मों और प्रजातियों के ऐतिहासिक विकास का विश्लेषण।
- जीवन के वैज्ञानिक अध्ययन को आगे बढ़ाना:
- उन्होंने दिखाया कि संसार के सभी जीव समय के साथ शाखाओं की तरह विकसित हुए हैं।
5. प्रमुख रचनाएँ
- ऑन द ऑरिजिन ऑफ स्पीशीज (1859)
- द डिसेंट ऑफ मैन (1871)
- द एक्सप्रेशन ऑफ द इमोशंस इन मैन एंड एनिमल्स (1872)
6. चुनौतियाँ और स्वीकृति
- शुरू में उनके सिद्धांतों को समझने में कठिनाई हुई और कुछ धार्मिक समूहों ने उनका विरोध किया।
- फिर भी, उनके विचार वैज्ञानिक समुदाय में व्यापक रूप से स्वीकार किए गए और आज भी जीवविज्ञान में महत्वपूर्ण हैं।
7. मृत्यु और विरासत
- मृत्यु: डार्विन का निधन 19 अप्रैल 1882 को डाउन हाउस, केंट, इंग्लैंड में हुआ।
- उन्हें वेस्टमिंस्टर ऐबी में न्यूटन जैसे महान वैज्ञानिकों के पास दफनाया गया।
- डार्विन का विज्ञान, प्रकृति और मानव समझ के विकास में योगदान अजर-अमर है।