औरंगज़ेब, जिनका पूरा नाम अबुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मोहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर था, मुगल साम्राज्य के छठे सम्राट थे। उन्होंने 1658 से 1707 तक शासन किया। उनके पिता शाहजहां और माँ मुमताज महल थीं। औरंगज़ेब को उनकी कट्टरता, प्रशासनिक कुशलता, और विशाल साम्राज्य के विस्तार के लिए जाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन
औरंगज़ेब का जन्म 3 नवंबर 1618 को उज्जैन के पास दाहोद में हुआ। बचपन से ही वह एक गंभीर और धार्मिक स्वभाव के थे। उन्होंने इस्लामी शिक्षा में विशेष रुचि दिखाई और कुरान को कंठस्थ किया।
शाहजहां ने उन्हें दक्षिण भारत के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया, जहाँ उन्होंने अपनी सैन्य कुशलता का प्रदर्शन किया।
गद्दी की लड़ाई और सम्राट बनना
शाहजहां के बीमार होने पर उनके चार पुत्रों – दारा शिकोह, औरंगज़ेब, मुराद और शुजा के बीच सत्ता संघर्ष हुआ।
औरंगज़ेब ने अपने भाइयों को हराकर गद्दी पर कब्जा कर लिया।
उन्होंने अपने बड़े भाई दारा शिकोह को हराकर मौत की सजा दी और शाहजहां को आगरा के किले में कैद कर दिया।
नीतियाँ और शासनकाल
1. धार्मिक नीति
औरंगज़ेब को उनकी कट्टर इस्लामी नीतियों के लिए जाना जाता है।
जज़िया कर: उन्होंने गैर-मुसलमानों पर जज़िया कर पुनः लगाया।
मंदिरों का विनाश: कई मंदिरों को तोड़ा गया, जो उनकी नीतियों का विवादास्पद पहलू है।
इस्लामी कानून (शरिया) को कठोरता से लागू किया।
2. सैन्य और प्रशासनिक उपलब्धियाँ
दक्षिण भारत में विजय: उन्होंने बीजापुर, गोलकुंडा और मराठा क्षेत्रों पर कब्जा किया।
सिख गुरु तेग बहादुर की हत्या: उन्होंने सिख गुरु तेग बहादुर को इस्लाम में धर्मांतरण के लिए मजबूर किया, और मना करने पर उन्हें मृत्यु दंड दिया।
साम्राज्य का विस्तार: उनके शासनकाल में मुगल साम्राज्य अपने चरम पर था, जो लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप तक फैला था।
3. प्रशासनिक सुधार
उन्होंने राज्य के ख़र्च को कम करने के लिए राजसी जीवन के विलासिता को त्याग दिया।
अपने शासन में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए।
औरंगज़ेब की सोच और व्यक्तित्व
धार्मिक कट्टरता: औरंगज़ेब ने धर्म को शासन का केंद्र बनाया। उनकी नीतियाँ इस्लामी मूल्यों के अनुसार थीं, लेकिन यह साम्राज्य की विविधता के लिए हानिकारक साबित हुआ।
सादगी: वह व्यक्तिगत जीवन में सादगी पसंद करते थे। यहाँ तक कि उन्होंने अपने खर्च के लिए अपने हाथ से टोपी सिलने और कुरान लिखने से धन कमाया।
पतन और मृत्यु
औरंगज़ेब के कठोर शासन और धार्मिक नीतियों के कारण साम्राज्य में विद्रोह शुरू हो गए।
मराठा, सिख, राजपूत, और जाटों ने उनके खिलाफ विद्रोह किया।
उनका अत्यधिक विस्तारित साम्राज्य प्रशासनिक रूप से कमजोर हो गया।
औरंगज़ेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 को अहमदनगर में हुई। उन्हें महाराष्ट्र के खुलदाबाद में एक साधारण कब्र में दफनाया गया।
उपलब्धियाँ और आलोचना
उपलब्धियाँ:
साम्राज्य का अत्यधिक विस्तार।
प्रशासनिक कुशलता।
सैन्य सफलता।
आलोचना:
धार्मिक असहिष्णुता।
सांस्कृतिक विविधता को नष्ट करना।
आर्थिक कमजोरियाँ, जो उनके उत्तराधिकारियों के पतन का कारण बनीं।
निष्कर्ष
औरंगज़ेब का शासनकाल भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण लेकिन विवादास्पद था। उन्होंने मुगलों का साम्राज्य अपने चरम तक पहुंचाया, दक्षिण भारत में कई राज्यों को जीता और प्रशासनिक सुधार किए। हालांकि, उनकी धार्मिक कट्टरता और असहिष्णु नीतियाँ साम्राज्य में असंतोष और विद्रोह का कारण बनीं। उन्होंने संस्कृति और धार्मिक विविधता को दबाया, जिससे विभिन्न समुदायों में विरोध हुआ। उनके शासन में किए गए सैन्य और प्रशासनिक सुधारों के बावजूद, उनकी नीतियाँ साम्राज्य के पतन का कारण बनीं। कुल मिलाकर, उनका शासन एक मिश्रित धरोहर छोड़ गया, जिसमें युद्ध की विजय और धार्मिक विवाद दोनों शामिल हैं।