भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की पूरी जानकारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है, जो अंतरिक्ष अनुसंधान, सैटेलाइट प्रक्षेपण और उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास के लिए कार्य करती है। यह संगठन भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इसरो का बुनियादी विवरण
- पूरा नाम: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
- संक्षिप्त नाम: इसरो (ISRO)
- मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक
- स्थापना: 15 अगस्त 1969
- संस्थापक: डॉ. विक्रम साराभाई (भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक)
- प्रमुख संगठन: अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार
- वर्तमान अध्यक्ष: एस. सोमनाथ (2024 तक)
- मुख्य उद्देश्य: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का राष्ट्रीय विकास और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपयोग।
इसरो का इतिहास
- 1947-1962: अंतरिक्ष अनुसंधान की शुरुआत डॉ. विक्रम साराभाई और डॉ. होमी भाभा के नेतृत्व में हुई। इसका उद्देश्य विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग था।
- 1962: भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना हुई।
- 1969: इसरो की स्थापना की गई।
- 1972: अंतरिक्ष विभाग का गठन हुआ, और इसरो को इसके अधीन कर दिया गया।
मुख्य उपलब्धियां
- पहला उपग्रह:
- आर्यभट्ट (1975): सोवियत संघ के सहयोग से लॉन्च किया गया।
- लॉन्च व्हीकल (प्रक्षेपण यान):
- एसएलवी (SLV): भारत का पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण यान (1980)।
- पीएसएलवी (PSLV): “वर्कहॉर्स” के रूप में प्रसिद्ध, जो एक साथ कई उपग्रहों को कक्षा में भेज सकता है।
- जीएसएलवी (GSLV): भारी उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस कक्षा में भेजने के लिए।
- मंगल अभियान:
- मंगलयान (2013): भारत पहला देश बना जिसने पहले प्रयास में मंगल पर मिशन सफलतापूर्वक भेजा।
- चंद्रमा मिशन:
- चंद्रयान-1 (2008): चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज।
- चंद्रयान-2 (2019): चंद्रमा की सतह का अध्ययन।
- चंद्रयान-3 (2023): चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग, यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत पहला देश।
- नेविगेशन सिस्टम:
- NavIC (Navigation with Indian Constellation): भारत का अपना जीपीएस।
- अंतरिक्ष वेधशाला:
- एस्ट्रोसैट (2015): भारत की पहली बहु-तरंगदैर्ध्य अंतरिक्ष वेधशाला।
वर्तमान कार्यक्रम और लक्ष्यों की सूची
- मानव अंतरिक्ष मिशन:
- गगनयान (2024): भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन।
- अंतरिक्ष विज्ञान मिशन:
- आदित्य-एल1 (2024): सूर्य का अध्ययन करने के लिए मिशन।
- शुक्र ग्रह का अन्वेषण।
- वाणिज्यिक सेवाएं:
- अन्ट्रिक्स कॉरपोरेशन और न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के माध्यम से।
- सैटेलाइट विकास:
- संचार सैटेलाइट (जीसैट), पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट (IRS), और रक्षा-संबंधी सैटेलाइट।
इसरो के प्रमुख केंद्र
- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC): तिरुवनंतपुरम – प्रक्षेपण यानों पर अनुसंधान।
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC): श्रीहरिकोटा – रॉकेट प्रक्षेपण के लिए।
- इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (IPRC): तमिलनाडु – प्रोपल्शन सिस्टम पर काम।
- स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर (SAC): अहमदाबाद – पेलोड और एप्लीकेशन का विकास।
- यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC): बेंगलुरु – सैटेलाइट निर्माण और परीक्षण।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वित्तपोषण
- इसरो को भारत सरकार से वित्तपोषण मिलता है।
- नासा, ईएसए, जेएक्सए, और रूसकोसमोस जैसी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग।
विशेषताएं
- कम लागत वाले मिशन: इसरो की पहचान कम बजट में बड़ी उपलब्धियां हासिल करने के लिए है। उदाहरण: मंगलयान मिशन की लागत केवल $74 मिलियन थी।
- स्पेस डिप्लोमेसी: पीएसएलवी के जरिए विकासशील देशों के सैटेलाइट लॉन्च करने में मदद।
- स्टार्टअप और इनोवेशन: अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों को बढ़ावा।
भविष्य की योजनाएं
- गहरे अंतरिक्ष मिशन (शुक्र, अन्य ग्रह)।
- ग्लोबल संचार और पृथ्वी अवलोकन के लिए सैटेलाइट विस्तार।
- निजी स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए IN-SPACe जैसी पहल।