सामान्य शॉर्टकट कुंजियाँ -General Shortcut Keys
भारत एक विशाल और विविधता से भरा हुआ देश है। यहाँ की भौगोलिक स्थिति, समुद्रों से निकटता, ऊँचे पर्वतों की मौजूदगी और बड़े मैदान – ये सभी मिलकर भारत की जलवायु को खास बनाते हैं। भारत में एक ही समय पर अलग-अलग मौसम का अनुभव किया जा सकता है – कहीं कड़कड़ाती ठंड होती है तो कहीं तेज़ गर्मी, कहीं भारी बारिश तो कहीं सूखा। यही कारण है कि भारत की जलवायु को “विविध जलवायु” (Diverse Climate) कहा जाता है।
जलवायु का मतलब होता है – किसी स्थान के मौसम की लंबे समय तक बनी रहने वाली विशेषताएँ। जैसे – किसी जगह पर हर साल कितनी गर्मी पड़ती है, कितनी बारिश होती है, कितनी ठंड होती है – इन सबको मिलाकर वहाँ की जलवायु बनती है।
भारत में चार मुख्य मौसम होते हैं – गर्मी, बारिश, शरद और सर्दी। इन मौसमों का समय, प्रभाव और व्यवहार पूरे देश में अलग-अलग होता है। भारत की जलवायु में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है – मानसून। मानसून वह मौसम है जब समुद्र से चलने वाली नम हवाएँ ज़मीन पर पहुँचकर बारिश कराती हैं। भारत की खेती, जल संग्रहण, नदियों का बहाव और लाखों लोगों का जीवन मानसून पर निर्भर करता है।
आज के समय में जलवायु में बदलाव (Climate Change) एक बड़ा मुद्दा बन गया है। असमय बारिश, अधिक तापमान, बर्फबारी की कमी और तूफान जैसी घटनाएँ यह दिखा रही हैं कि जलवायु में धीरे-धीरे परिवर्तन हो रहा है। इसलिए, जलवायु को समझना और उसे संतुलित बनाए रखने के उपाय करना आज के छात्रों और नागरिकों के लिए बहुत ज़रूरी है।
इस लेख में हम भारत की जलवायु के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से, सरल और रोचक भाषा में समझेंगे – ताकि हर पाठक इसे आसानी से समझ सके और ज्ञान प्राप्त कर सके।
भारत जैसे विशाल देश में जलवायु हर स्थान पर अलग-अलग होती है। कहीं बहुत ठंड होती है, तो कहीं ज़्यादा गर्मी, कहीं भारी वर्षा तो कहीं सूखा। ऐसा क्यों होता है? इसका उत्तर है – जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक।
नीचे हम इन सभी प्रमुख कारकों का सरल भाषा में विस्तार से अध्ययन करेंगे:
पृथ्वी पर एक देश जितना भूमध्य रेखा (Equator) के नज़दीक होगा, वहां उतना ही गर्म मौसम होगा।
भारत का अधिकांश भाग उष्णकटिबंधीय (Tropical Zone) में आता है, इसलिए यहाँ गर्मी ज़्यादा पड़ती है।
उत्तर की ओर बढ़ने पर (जैसे कश्मीर), ठंड बढ़ती है।
📝 निष्कर्ष: अक्षांश जितना अधिक होगा, तापमान उतना कम होगा।
जैसे-जैसे हम समुद्र तल से ऊपर जाते हैं, तापमान घटता जाता है।
उदाहरण: मसूरी, शिमला जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में गर्मियों में भी ठंडक रहती है।
📝 निष्कर्ष: ऊँचाई में वृद्धि से तापमान में कमी आती है।
जो स्थान समुद्र के पास होते हैं (जैसे मुंबई, चेन्नई), वहाँ का तापमान सामान्य रहता है – न बहुत ज़्यादा गर्मी, न बहुत ज़्यादा सर्दी।
जो स्थान अंदरूनी भागों में होते हैं (जैसे दिल्ली, नागपुर), वहाँ तापमान में अत्यधिक अंतर होता है – दिन गर्म और रात ठंडी हो सकती है।
📝 निष्कर्ष: समुद्र नज़दीक हो तो मौसम संतुलित रहता है।
मानसून पवनें भारत की जलवायु का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
दक्षिण-पश्चिम मानसून गर्मियों में नमी लेकर आती है और बारिश कराती है।
ठंडी हवाएँ सर्दियों में तापमान गिरा देती हैं।
📝 निष्कर्ष: हवा की दिशा और प्रकार वर्षा और तापमान को प्रभावित करते हैं।
पहाड़ न सिर्फ तापमान बल्कि वर्षा को भी प्रभावित करते हैं।
जैसे पश्चिमी घाट की पर्वतमाला के पश्चिमी हिस्से में ज्यादा वर्षा होती है क्योंकि नमी वाली हवाएँ वहाँ टकराती हैं।
हिमालय भारत को ठंडी उत्तरी हवाओं से बचाता है।
📝 निष्कर्ष: पर्वत वर्षा और हवाओं की दिशा तय करते हैं।
महासागर में बहने वाली ठंडी और गर्म धाराएँ भी जलवायु को प्रभावित करती हैं।
जैसे जापान के पास की गर्म कुरोशियो धारा और ठंडी ओयाशियो धारा मिलकर वहाँ की जलवायु को प्रभावित करती हैं।
भारत के पास ऐसी धाराओं का असर कम होता है, पर समुद्र की गर्मी ज़रूर असर डालती है।
📝 निष्कर्ष: समुद्री धाराएँ तटीय क्षेत्रों में तापमान को प्रभावित करती हैं।
भारत एक विशाल देश है, इसलिए यहाँ मौसम में बड़ा बदलाव देखा जाता है। भारत में मौसम साल भर एक जैसा नहीं रहता। पृथ्वी के घूमने (Revolution) और सूर्य की किरणों के झुकाव के कारण ऋतुओं में परिवर्तन होता है।
भारत में चार मुख्य ऋतुएँ होती हैं:
समय: मार्च से मई तक
विशेषताएँ:
📝 नोट: इस समय दक्षिण भारत में ज़्यादा गर्मी नहीं पड़ती क्योंकि समुद्र का प्रभाव तापमान को संतुलित करता है।
समय: जून से सितंबर तक
विशेषताएँ:
📝 नोट: मानसून के आगमन और वापसी (Onset and Withdrawal) में भिन्नता होती है। पूरे देश में मानसून एकसमान नहीं होता।
समय: अक्टूबर से नवंबर तक
विशेषताएँ:
📝 नोट: इस समय को “Post-Monsoon Season” भी कहा जाता है।
समय: दिसंबर से फरवरी तक
विशेषताएँ:
📝 नोट: दक्षिण भारत में समुद्र के नज़दीक तापमान ज़्यादा गिरता नहीं है, इसलिए वहाँ सर्दी बहुत तीव्र नहीं होती।
मानसून शब्द मूलतः अरबी भाषा के “मौसिम” शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है “मौसम”।
भारत में मानसून का मतलब है — समुद्र से आने वाली आर्द्र हवाएँ जो भारी मात्रा में वर्षा कराती हैं।
भारत की जलवायु का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा मानसून ही है।
हर साल जून के पहले सप्ताह में मानसून सबसे पहले केरल तट से भारत में प्रवेश करता है।
इसके बाद ये धीरे-धीरे पूरे देश में फैलता है।
मानसून के आगमन का क्रम इस प्रकार है:
भारत में मानसून का प्रभाव हर क्षेत्र पर गहरा पड़ता है, जैसे:
(A) गुजरात
(B) केरल
(C) राजस्थान
(D) पंजाब
✅ उत्तर: (B) केरल
(A) संस्कृत
(B) अरबी
(C) हिंदी
(D) अंग्रेजी
✅ उत्तर: (B) अरबी
(A) राजस्थान
(B) पश्चिमी घाट
(C) पंजाब
(D) गुजरात
✅ उत्तर: (B) पश्चिमी घाट
(A) उद्योगों पर
(B) कृषि पर
(C) पर्यटन पर
(D) शिक्षा पर
✅ उत्तर: (B) कृषि पर
(A) भूकंप
(B) ज्वालामुखी
(C) बाढ़
(D) तूफान
✅ उत्तर: (C) बाढ़
(A) पूर्व से पश्चिम
(B) दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व
(C) उत्तर से दक्षिण
(D) पश्चिम से पूर्व
✅ उत्तर: (B) दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व
(A) चेरापूंजी
(B) श्रीनगर
(C) दिल्ली
(D) पुणे
✅ उत्तर: (A) चेरापूंजी
(A) गेहूँ
(B) मक्का
(C) धान
(D) जौ
✅ उत्तर: (C) धान
(A) अप्रैल
(B) मई
(C) जून
(D) जुलाई
✅ उत्तर: (C) जून
(A) गरम और सूखी हवाएँ
(B) ठंडी और गीली हवाएँ
(C) गरम और गीली हवाएँ
(D) ठंडी और सूखी हवाएँ
✅ उत्तर: (C) गरम और गीली हवाएँ
(A) मानसून का वापसी चरण
(B) मानसून का आरंभिक चरण
(C) मानसून का मध्य चरण
(D) मानसून समाप्ति चरण
✅ उत्तर: (C) मानसून का मध्य चरण
(A) जून
(B) जुलाई
(C) अगस्त
(D) अक्टूबर
✅ उत्तर: (D) अक्टूबर
(A) स्थायी उच्च दबाव प्रणाली
(B) मौसमी पवन प्रणाली
(C) ठंडी जलवायु प्रणाली
(D) भूमध्यसागरीय जलवायु प्रणाली
✅ उत्तर: (B) मौसमी पवन प्रणाली
(A) नहर
(B) झील
(C) भूजल स्तर
(D) नहरें
✅ उत्तर: (C) भूजल स्तर
(A) पश्चिमी घाट
(B) उत्तर-पूर्वी क्षेत्र
(C) राजस्थान
(D) केरल
✅ उत्तर: (C) राजस्थान