संसद (Parliament) की संपूर्ण जानकारी

संसद किसी भी लोकतांत्रिक देश की सबसे महत्वपूर्ण संस्था होती है। यह सरकार के तीन मुख्य अंगों में से एक है, जिसका कार्य विधायी (Legislative), वित्तीय (Financial), और प्रशासनिक नियंत्रण (Administrative Control) करना होता है। संसद को जनता की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करने और नीतियों को निर्धारित करने का अधिकार प्राप्त होता है।
भारतीय संसद, जो ब्रिटिश संसद की प्रणाली पर आधारित है, द्विसदनीय (Bicameral) है, जिसमें लोकसभा (House of the People) और राज्यसभा (Council of States) शामिल हैं। यह लोकतांत्रिक शासन का आधार है और नागरिकों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों से जोड़ने का काम करती है।
संसद की उत्पत्ति लोकतांत्रिक चर्चाओं और सामूहिक निर्णय-प्रक्रिया से हुई। प्राचीन ग्रीस और रोम में नागरिक सभाएं हुआ करती थीं, जहाँ लोग नीति-निर्धारण में भाग लेते थे। भारत में भी, प्राचीन काल में ‘सभा’ और ‘समिति’ जैसी संस्थाएं थीं, जो लोकतांत्रिक परंपराओं का प्रारंभिक रूप थीं।
भारत में आधुनिक संसदीय प्रणाली ब्रिटिश शासन के दौरान विकसित हुई।
1861 – भारतीय परिषद अधिनियम (Indian Councils Act): यह पहली बार था जब विधायी परिषद की स्थापना की गई।
1909 – मॉर्ले-मिंटो सुधार (Morley-Minto Reforms): पहली बार भारतीयों को विधायी परिषदों में शामिल किया गया।
1919 – मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (Montagu-Chelmsford Reforms): इसने द्वैध शासन (Dyarchy) की नींव रखी।
1935 – भारत सरकार अधिनियम (Government of India Act, 1935): इसने संघीय संसद की अवधारणा को प्रस्तुत किया।
26 जनवरी 1950: भारत का संविधान लागू हुआ और भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बना।
1952: भारतीय संसद का पहला सत्र आयोजित हुआ।
भारतीय संसद तीन मुख्य अंगों से मिलकर बनी होती है:
राष्ट्रपति संसद का औपचारिक प्रमुख होता है।
संसद द्वारा पारित किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति आवश्यक होती है।
वह संसद को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने की शक्ति रखता है।
लोकसभा को “जनता का सदन” कहा जाता है क्योंकि इसके सदस्य प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा चुने जाते हैं।
वर्तमान में लोकसभा में 543 सदस्य होते हैं।
प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन राष्ट्रपति इसे भंग कर सकता है।
इसका मुख्य कार्य कानून बनाना, सरकार की जवाबदेही तय करना और वित्तीय बिल पास करना होता है।
इसे “स्थायी सदन” कहा जाता है क्योंकि इसे कभी भंग नहीं किया जाता।
इसमें अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं, लेकिन वर्तमान में 245 सदस्य हैं।
सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है, और हर 2 साल में 1/3 सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं।
राज्यसभा विधायी कार्यों में भाग लेती है और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा करती है।
संसद कानून बनाती है, पुराने कानूनों में संशोधन करती है और नए विधेयकों को पारित करती है।
सरकार का वार्षिक बजट संसद में पेश किया जाता है और लोकसभा इसे पास करती है।
संसद यह सुनिश्चित करती है कि जनता के धन का उचित उपयोग हो रहा है।
संसद सरकार की नीतियों और कार्यों की निगरानी रखती है।
प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, और अविश्वास प्रस्ताव जैसे उपायों से सरकार की जवाबदेही तय की जाती है।
राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने का अधिकार संसद को प्राप्त है।
सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया भी संसद द्वारा की जाती है।
भारतीय संविधान में संशोधन करने की शक्ति संसद के पास होती है।
राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency): संसद को विशेष शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
संयुक्त सत्र (Joint Session): यदि लोकसभा और राज्यसभा किसी विधेयक पर सहमत न हों तो राष्ट्रपति संयुक्त सत्र बुला सकता है।
राज्यों पर नियंत्रण: यदि किसी राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो जाए, तो संसद वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है।
भारतीय संसद का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था।
लोकसभा अध्यक्ष (Speaker) सदन की कार्यवाही का संचालन करता है।
राज्यसभा का सभापति (Chairman) उपराष्ट्रपति होता है।
संसद भवन को एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिज़ाइन किया था।