भारतीय संसद का संचालन एक निश्चित समय-सारणी के अनुसार होता है, जिसमें कई प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं। इन प्रक्रियाओं में से प्रश्न काल (Question Hour) और शून्य काल (Zero Hour) दो महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। हालांकि दोनों में सांसद (MPs) जनता से जुड़ी समस्याएँ उठाते हैं, परंतु इनका स्वरूप, समय और उद्देश्य अलग होता है।
प्रश्न काल (Question Hour) क्या होता है?
प्रश्न काल संसद के हर कार्य दिवस की शुरुआत में होता है, जब सांसद विभिन्न मंत्रालयों से जुड़े सवाल पूछते हैं और सरकार को जवाबदेह बनाते हैं।
🔹 मुख्य विशेषताएँ:
समय: प्रातः 11:00 बजे से 12:00 बजे तक।
उद्देश्य: सरकार से जानकारी लेना और उसकी जवाबदेही तय करना।
प्रश्नों के प्रकार:
तारांकित प्रश्न (Starred): मौखिक उत्तर अपेक्षित होता है, पूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
अतारांकित प्रश्न (Unstarred): लिखित उत्तर दिए जाते हैं, पूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते।
अल्प सूचना प्रश्न (Short Notice): त्वरित मामलों के लिए कम सूचना पर पूछे जाते हैं।
नियमों के तहत: यह संसद के नियमों के तहत संचालित होता है।
उत्तरदाता: संबंधित मंत्री।
🔹 महत्व:
सरकार की कार्यप्रणाली की जांच होती है।
पारदर्शिता और लोकतांत्रिक नियंत्रण सुनिश्चित होता है।
जनहित के मुद्दों पर ध्यान जाता है।
शून्य काल (Zero Hour) क्या होता है?
शून्य काल प्रश्न काल के तुरंत बाद शुरू होता है, यानी दोपहर 12:00 बजे से, जब सांसद बिना पूर्व सूचना के जनता से जुड़े तात्कालिक मुद्दे उठा सकते हैं।
🔹 मुख्य विशेषताएँ:
समय: दोपहर 12:00 बजे से प्रश्न काल के बाद।
उद्देश्य: अचानक उत्पन्न जनहित के मामलों को तुरंत संसद में उठाना।
नियमबद्ध नहीं: यह संसद के किसी नियम में उल्लिखित नहीं है; यह एक परंपरा के रूप में चलता है।
पूर्व सूचना की आवश्यकता नहीं: सांसद बिना किसी पूर्व सूचना के विषय उठा सकते हैं।
लचीलापन: अध्यक्ष/सभापति के विवेक पर आधारित होता है।
मंत्री उत्तर दे भी सकते हैं और नहीं भी।
🔹 महत्व:
अत्यंत जरूरी मामलों को तत्काल उठाने का अवसर।
मौजूदा घटनाओं पर संसद में चर्चा का माध्यम।
जनता की भावनाओं को तुरंत संसद तक पहुंचाने का तरीका।
🔄 3. प्रश्न काल और शून्य काल के बीच अंतर (तुलना सारणी):
विशेषता | प्रश्न काल (Question Hour) | शून्य काल (Zero Hour) |
---|---|---|
समय | सुबह 11:00 से दोपहर 12:00 बजे तक | दोपहर 12:00 बजे से |
उद्देश्य | सरकार से जवाब मांगना, जानकारी लेना | तात्कालिक जनहित मुद्दे उठाना |
नियमों में दर्ज | हाँ, संसद के नियमों में उल्लेख है | नहीं, यह एक परंपरा है |
पूर्व सूचना | आवश्यक होती है | आवश्यक नहीं होती |
प्रश्न का प्रकार | मौखिक, लिखित, अल्प सूचना | केवल मुद्दा उठाना, कोई औपचारिक प्रश्न नहीं |
मंत्री का उत्तर | देना अनिवार्य होता है | तुरंत उत्तर देना आवश्यक नहीं |
लोकतंत्र में इनकी भूमिका:
प्रश्न काल और शून्य काल दोनों ही संसदीय लोकतंत्र के मजबूत स्तंभ हैं। इनके ज़रिए:
- सांसद जनता की आवाज़ संसद में उठाते हैं।
- सरकार की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखी जाती है।
- जनता के मुद्दों को प्राथमिकता मिलती है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।