Sp Academy
"Curiosity leads, knowledge truly empowers."

भारतीय संविधान – भाग 1 (Part I): संघ और उसका राज्य क्षेत्र

भारतीय संविधान का भाग 1, अनुच्छेद 1 से 4 तक फैला हुआ है और इसमें भारत के संघ की प्रकृति और उसके क्षेत्र की सीमा को परिभाषित किया गया है। यह भाग हमारे राष्ट्र की पहचान, संरचना और उसकी भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट करता है।

अनुच्छेद 1 (Article 1): भारत अर्थात् भारत राज्यों का संघ होगा

  1. भारत का नाम:
    अनुच्छेद 1(1) कहता है कि – “भारत, अर्थात् इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा।”

    👉 इसका अर्थ है कि संविधान में भारत और इंडिया दोनों नामों को मान्यता दी गई है।
    👉 “राज्यों का संघ” शब्द यह दर्शाता है कि भारत एक संघीय राष्ट्र है, लेकिन अमेरिकी संघ की तरह नहीं जिसमें राज्य अलग-अलग संप्रभु हों।

    भारत में राज्य संविधान के अधीन हैं और केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहते हैं।

उदाहरण:

मान लीजिए कोई व्यक्ति कहे कि “केरल एक स्वतंत्र राष्ट्र है” – तो यह असंवैधानिक होगा, क्योंकि भारत के सभी राज्य भारत संघ का हिस्सा हैं और अलग नहीं हो सकते।

अनुच्छेद 1(2) – भारत का राज्य क्षेत्र:

भारत का राज्य क्षेत्र निम्नलिखित हिस्सों से मिलकर बना है:

  1. वे राज्य जो संविधान की पहली अनुसूची में उल्लिखित हैं।

  2. केंद्र शासित प्रदेश।

  3. ऐसे क्षेत्र जो भारत में भविष्य में शामिल किए जा सकते हैं।

👉 इसका अर्थ यह है कि भारत के क्षेत्र में केवल राज्य ही नहीं आते, बल्कि केंद्र शासित प्रदेश (जैसे – दिल्ली, पुदुचेरी) और भविष्य में जो क्षेत्र भारत में मिलें, वे भी शामिल होंगे।

अनुच्छेद 1(3): भारत के क्षेत्र में क्या शामिल है?

भारत के क्षेत्र में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • राज्य क्षेत्र

  • केंद्र शासित प्रदेश

  • भारत द्वारा शासित कोई अन्य क्षेत्र (जैसे – किसी युद्ध या समझौते के बाद जो क्षेत्र भारत में आएं)

उदाहरण:
1975 में सिक्किम एक स्वतंत्र रियासत थी, लेकिन जनमत-संग्रह के बाद वह भारत का 22वां राज्य बन गया। इसे संविधान (36वां संशोधन) के तहत भारत में शामिल किया गया।

अनुच्छेद 2 (Article 2): भारत में नए राज्यों को सम्मिलित करने की शक्ति

अनुच्छेद 2 कहता है:
संसद को यह अधिकार है कि वह कानून बनाकर किसी भी विदेशी क्षेत्र को भारत में सम्मिलित कर सके।”

👉 इसका उपयोग तब किया जाता है जब कोई विदेशी क्षेत्र स्वेच्छा से भारत में मिलना चाहे

उदाहरण:
  • सिक्किम को वर्ष 1975 में भारत का राज्य बनाया गया।

  • पांडिचेरी को 1962 में फ्रांस से लेकर भारत में मिलाया गया।

👉 यह संसद की शक्ति है, और इसमें राज्य विधानसभाओं की सहमति आवश्यक नहीं होती।

अनुच्छेद 3 (Article 3): राज्यों का पुनर्गठन

अनुच्छेद 3 संसद को यह शक्ति देता है कि वह –

  1. किसी राज्य की सीमाओं में बदलाव कर सकती है।

  2. किसी राज्य को विभाजित कर सकती है।

  3. एक नया राज्य बना सकती है।

  4. दो या अधिक राज्यों को मिलाकर एक नया राज्य बना सकती है।

  5. राज्य का नाम बदल सकती है।

परंतु एक शर्त है:

राष्ट्रपति को पहले संबंधित राज्य की विधानसभा से राय (opinion) लेनी होती है, पर यह राय अनिवार्य नहीं होतीसंसद चाहे तो राय को अस्वीकार कर सकती है।


महत्वपूर्ण उदाहरण:

  1. तेलंगाना राज्य का निर्माण (2014):
    आंध्र प्रदेश से अलग करके तेलंगाना को नया राज्य बनाया गया।

  2. उत्तराखंड का निर्माण (2000):
    उत्तर प्रदेश से अलग किया गया।

  3. झारखंड (2000):
    बिहार से अलग होकर नया राज्य बना।

  4. छत्तीसगढ़ (2000):
    मध्य प्रदेश से अलग होकर बना।

👉 इन सभी मामलों में संसद ने कानून बनाकर राज्यों का पुनर्गठन किया।

अनुच्छेद 3 में संसद की शक्ति क्यों जरूरी है?

भारत जैसे विविधताओं वाले देश में जनसंख्या, भाषा, संस्कृति और प्रशासनिक कारणों से समय-समय पर राज्यों का पुनर्गठन आवश्यक होता है। इसलिए संसद को यह लचीलापन दिया गया है।

अनुच्छेद 4 (Article 4): संविधान संशोधन की आवश्यकता नहीं

अनुच्छेद 4 कहता है:

  • अनुच्छेद 2 और 3 के अंतर्गत बनाए गए किसी भी कानून को संविधान का संशोधन नहीं माना जाएगा।

👉 इसका मतलब है कि राज्य को जोड़ना, हटाना, या उसका नाम बदलना, यह सब बिना संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत विधिवत संशोधन के भी किया जा सकता है।

उदाहरण:
  • जब सिक्किम को भारत का हिस्सा बनाया गया, तब संविधान में संशोधन किया गया (36वां संशोधन), लेकिन अनुच्छेद 2 और 3 के तहत अधिकांश राज्य पुनर्गठन कार्य बिना संशोधन प्रक्रिया के ही होते हैं।


भाग 1 के अनुच्छेद 1-4 का सारांश:

अनुच्छेदविवरणउदाहरण
अनुच्छेद 1भारत एक राज्यों का संघ होगाभारत, अर्थात् इंडिया”
अनुच्छेद 2विदेशी क्षेत्रों को भारत में शामिल करने की संसद की शक्तिसिक्किम, पांडिचेरी
अनुच्छेद 3राज्यों का पुनर्गठन, विभाजन, नाम परिवर्तन आदितेलंगाना, उत्तराखंड, झारखंड
अनुच्छेद 4ऐसे कानून संविधान संशोधन नहीं माने जाएंगेबिना अनुच्छेद 368 संशोधन के राज्य बनाए गए

निष्कर्ष (Conclusion):

भारतीय संविधान के भाग 1 के अनुच्छेद 1 से 4 तक भारत की राजनीतिक और भौगोलिक एकता को सुनिश्चित करते हैं। यह भाग यह भी बताता है कि कैसे भारत अपनी संघीय संरचना को लचीले तरीके से बनाए रख सकता है। संसद को विशेष अधिकार देकर संविधान निर्माताओं ने भविष्य की जरूरतों के अनुसार राज्यों की संरचना बदलने की शक्ति दी है, जो लोकतंत्र और प्रशासन को और मजबूत बनाती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
सामान्य शॉर्टकट कुंजियाँ -General Shortcut Keys All social media Establish date with facts Solar System